RBI guidelines: ईएमआई चुकाने में असमर्थ होने पर बैंकों द्वारा की जाने वाली वसूली प्रक्रिया को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने कई महत्वपूर्ण नियम बनाए हैं। ये नियम उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करते हैं और बैंकों को एक निश्चित सीमा में रहकर काम करने के लिए बाध्य करते हैं।
वसूली एजेंटों की सीमाएं
बैंक ऋण वसूली के लिए थर्ड पार्टी एजेंटों का सहारा ले सकते हैं, लेकिन इन एजेंटों को भी कुछ नियमों का पालन करना होता है। वे केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही उधारकर्ता से संपर्क कर सकते हैं और किसी भी प्रकार की धमकी या अनुचित व्यवहार नहीं कर सकते।
कानूनी प्रक्रिया
सरफेसी अधिनियम के तहत बैंकों को गिरवी रखी गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। बैंक बिना नोटिस दिए कोई कार्रवाई नहीं कर सकते और उधारकर्ता को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलता है।
एनपीए और नोटिस अवधि
खाता नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में तब जाता है जब 90 दिनों तक ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता। इस स्थिति में बैंक को 60 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। संपत्ति की बिक्री के लिए 30 दिन का अतिरिक्त सार्वजनिक नोटिस देना होता है।
उधारकर्ता के अधिकार
उधारकर्ता को अपनी गिरवी रखी संपत्ति का सही मूल्य जानने का अधिकार है। बैंक को नीलामी से पहले संपत्ति का मूल्य, नीलामी की तिथि और रिजर्व प्राइस की जानकारी देनी होती है। यदि बिक्री से अतिरिक्त धन प्राप्त होता है, तो वह उधारकर्ता को वापस करना होगा।
शिकायत निवारण
यदि कोई बैंक या वसूली एजेंट नियमों का उल्लंघन करता है, तो उधारकर्ता बैंक में शिकायत कर सकता है। यदि बैंक उचित कार्रवाई नहीं करता, तो बैंकिंग लोकपाल से संपर्क किया जा सकता है।
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। ऋण वसूली के नियम और प्रक्रियाएं समय-समय पर बदल सकती हैं। कृपया नवीनतम जानकारी के लिए आरबीआई की वेबसाइट या अपने बैंक से संपर्क करें। किसी भी विसंगति की स्थिति में आरबीआई के दिशा-निर्देश मान्य होंगे।