RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण वसूली प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए, बैंकों और रिकवरी एजेंटों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य ऋण वसूली प्रक्रिया को अधिक मानवीय और व्यवस्थित बनाना है।
ऋण वसूली में मानवीय दृष्टिकोण
नए नियमों के अनुसार, रिकवरी एजेंटों को ग्राहकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना अनिवार्य है। किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार, धमकी या अनुचित दबाव बनाना पूर्णतः प्रतिबंधित है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि ऋण वसूली प्रक्रिया में ग्राहक की गरिमा बनी रहे।
ग्राहकों के अधिकार और शिकायत प्रणाली
आरबीआई ने ग्राहकों को रिकवरी एजेंटों के खिलाफ शिकायत करने का स्पष्ट अधिकार दिया है। ग्राहक बिना किसी भय के बैंक और पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अनुचित व्यवहार की स्थिति में ग्राहक मुआवजे की मांग भी कर सकते हैं।
भुगतान में देरी पर कार्यवाही प्रक्रिया
बैंकों को ऋण वसूली से पहले एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा। पहले चरण में ग्राहक को रिमाइंडर भेजा जाएगा, फिर कानूनी नोटिस जारी किया जाएगा। केवल इन चरणों के बाद ही वसूली प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
कानूनी प्रक्रिया और बैंकों की जिम्मेदारी
बैंकों को वसूली प्रक्रिया में कानूनी मार्ग का पालन करना होगा। नॉन-ज्यूडिशियल और ज्यूडिशियल प्रक्रियाओं का उचित क्रम में उपयोग किया जाना चाहिए। बैंकों को ग्राहकों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करते हुए कार्य करना होगा।
रिकवरी एजेंटों पर नियंत्रण
नए नियमों के तहत रिकवरी एजेंटों की मनमानी पर पूर्ण रोक लगाई गई है। एजेंटों को बैंक द्वारा निर्धारित आचार संहिता का पालन करना होगा। किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।
सिविल स्कोर और प्रभाव
यदि ग्राहक समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं करता है, तो बैंक उसका सिविल स्कोर प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह कार्रवाई निर्धारित प्रक्रिया के बाद ही की जा सकती है। यह मामला सिविल विवाद के अंतर्गत आता है।
भविष्य की दिशा
ये नए नियम बैंकिंग क्षेत्र में एक स्वस्थ वसूली प्रणाली की स्थापना की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे ग्राहकों और बैंकों के बीच विश्वास बढ़ेगा और वित्तीय प्रणाली मजबूत होगी।
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। कृपया विस्तृत जानकारी के लिए आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से संपर्क करें। नियमों में बदलाव हो सकता है, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों का संदर्भ लें।